2024 paris olympics medal tally : भारत के पास कितने हैं मेडल और जानें 08 august तक की medal tally
पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में भारतीय एथलीटों ने अपनी उत्कृष्टता और समर्पण का अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। मनु भाकर ने इस बार का ओलंपिक इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज कराते हुए भारत को पहला पदक दिलाया। यह उपलब्धि न केवल मनु भाकर के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है और इससे भारतीय खेल प्रेमियों की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं।
26 जुलाई से 11 अगस्त तक चलने वाले ओलंपिक खेलों में भारत के 117 एथलीट, जिनमें पांच रिजर्व वाले खिलाड़ी भी मौजूद हैं, विभिन्न स्पर्धाओं में पदक जीतने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं। मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में दक्षिण कोरिया को हराकर ,मात देकर कांस्य पदक जीतने में सफलता हासिल की। यह पदक देश के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत के ओलंपिक सफर की शुरुआत एक सकारात्मक नोट पर हुई है।
इस कांस्य पदक के साथ ही भारतीय दल की उम्मीदों को एक नई शक्ति ,ताकत मिली है, और आगे भी कई एथलीटों से पदक जीतने की आशाएं प्रबल हो गई हैं। भारतीय खेल इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जहां हमारे एथलीट अपनी मेहनत, प्रतिभा, और दृढ़ संकल्प से देश को गौरव का अनुभव करा रहे है।
पेरिस 2024 ओलंपिक में भारतीय दल का अब तक का प्रदर्शन उम्मीदों से भरा हुआ है, और देशवासियों को आने वाले दिनों में और भी ज्यादा बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद रहेंगी।
Paris Olympics 2024 में भारत के कुल मेडल
भारत की स्थिति पर नजर डालें तो 15वें दिन के बाद भारत मेडल टैली में 63वें स्थान पर है। भारत के खाते में अभी तक 5 मेडल हैं, जिनमें 1 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज शामिल हैं। भारत ने अब तक गोल्ड मेडल नहीं जीता है।
भारत का ओलंपिक सफर काफी पुराना है। भारत ने पहली बार 1900 के ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था, जहां एथलेटिक्स में नॉर्मन प्रिचर्ड ने दो सिल्वर मेडल जीते थे। नॉर्मन प्रिचर्ड, जो एक इंडियन ब्रिटिश एथलीट थे, की इस उपलब्धि ने भारत को ओलंपिक में पदक जीतने वाला पहला एशियाई देश बना दिया।
1900 से 2022 तक, भारत ने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में कुल 35 मेडल जीते हैं, जिनमें 10 गोल्ड, 9 सिल्वर और 16 ब्रॉन्ज शामिल हैं। खासतौर पर मेंस हॉकी में भारत का प्रदर्शन शानदार रहा है, जहां उसने कुल 12 ओलंपिक मेडल जीते हैं—इसमें आठ गोल्ड, एक सिल्वर, और तीन ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। भारत का पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल 1928 में आया, जब भारतीय मेंस हॉकी टीम ने जीत हासिल की।
भारत के लिए पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल 2008 बीजिंग ओलंपिक में आया, जब शूटर अभिनव बिंद्रा ने मेंस 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल था और ओलंपिक खेलों में भारत की स्थिति को और मजबूत किया।
इन उपलब्धियों के साथ, भारत का ओलंपिक इतिहास समृद्ध और प्रेरणादायक रहा है, और पेरिस 2024 में भी भारतीय एथलीटों से और भी उम्मीदें हैं।
2024 paris olympics में अमेरिका हैं सबसे आगे और 2024 की मेडल Tally
2024 Paris Olympics में अब तक की Medal tally 2024 में अमेरिका ने अपनी बेहतरीन ताकत का प्रदर्शन करते हुए कुल 103 मेडल्स अपने नाम किए हैं। जिसमें 30 गोल्ड, 38 सिल्वर और 35 ब्रॉन्ज मेडल हैं। इस प्रदर्शन ने अमेरिका को नंबर 1 के स्थान पर बनाए रखा है। जो इस साल का सबसे बेहतरीन प्रर्दशन हैं।
दूसरे स्थान पर चीन मौजूद है, जिसने विभिन्न खेलों में अपनी कला दिखाते हुए कई पदक जीते हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर शामिल है। इन दोनों देशों ने भी अपनी बेहतरीन गेम प्रतिभा का परिचय दिया है।
Medal Tally
Medal Tally 2024 में भारत की स्थिति इस बार ओलंपिक में बहुत चुनौतीपूर्ण रही है। अब तक भारत ने केवल 5 ही पदक जीते हैं, जिनमें एक सिल्वर और चार ब्रॉन्ज पदक शामिल हैं। इस प्रदर्शन के साथ, भारत वर्तमान में 64वें स्थान पर मौजूद है। भारतीय खिलाड़ियों में सबसे बड़ी उपलब्धि जेवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल और मेंस हॉकी टीम द्वारा जीता गया ब्रॉन्ज मेडल है।
हालांकि भारत के पदकों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन इन पदकों ने देश के लिए गर्व का क्षण प्रदान किया है, और इस ओलंपिक में भारतीय एथलीटों का प्रदर्शन प्रशंसा के योग्य है। भविष्य में भी भारतीय दल से और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीदें हैं।
अमन के पास हैं मौक़ा medal जिताने का
2024 Paris olympics ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन रेसलिंग में बहुत कमजोर रहा है, जो उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतर सका। भारतीय रेसलिंग टीम के लिए यह ओलंपिक निराशा जनक साबित हुआ, क्योंकि सारे भारतीय पहलवान बिना किसी मेडल के वापस लौटे हैं। सबसे बड़ी निराशा तब हुई थीं ,जब विनेश फोगाट, जो गोल्ड मेडल की प्रबल दावेदार थीं, उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया था, जिससे देश की उम्मीदों को गहरा झटका लगा था।
हालांकि, इस निराशा जनक के बीच भी एक किरण की तरह उभर रहे हैं अमन सहरावत, जिनसे भारत को अब भी रेसलिंग में एक मेडल की उम्मीद है। अमन का पेरिस ओलंपिक तक का सफर अद्भुत और शानदार रहा है। उन्होंने नेशनल ट्रायल्स में अनुभवी और टोक्यो ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया को हराकर , मात देकर सबको चौंका दिया था। रवि दहिया, जिन्होंने टोक्यो में अपनी कैटेगरी के फाइनल में जगह बनाई थी, रवि दहिया को हराना अमन के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ।
2024 Paris olympics में अमन ने अब तक अपने शानदार खेल से सभी को आकर्षित किया है। अपने शूरु के मुकाबलों में उन्होंने तीन बार के वर्ल्ड चैंपियन को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। हालांकि, सेमीफाइनल में उन्हें जापान के ताकुतो ओटोगुरो के खिलाफ कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, और केवल 1 मिनट 14 सेकंड में 10-0 से हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद भी, अमन सहरावत के पास अभी भी एक ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका है। इसके लिए उन्हे 9 अगस्त को रात 9:45 बजे, वह प्यूर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज के खिलाफ ब्रॉन्ज मेडल मैच में उतरेंगे। यह मुकाबला न केवल उनके लिए, बल्कि भारत देश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत को रेसलिंग में सम्मान की वापसी का मौका मिल सकता है। अमन के अब तक के प्रदर्शन को देखते हुए, देश की निगाहें इस निर्णायक मुकाबले पर टिकी हैं। देखना होगा कि अमन क्या मेडल ला सकेंगे।
नीरज ने रच दिया हैं इतिहास
नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर से भारतीय खेल इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखवा लिया है। नीरज चोपड़ा, ने जो पहले ही टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर देश के सिर गर्व से ऊंचा कर चुके थे, अब की बार 2024 paris olympics ओलंपिक में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे हैं।
नीरज ने पेरिस ओलंपिक के फाइनल में 89.45 मीटर का सबसे अच्छा थ्रो किया, जो उनके बेहतरीन से बेहतरीन प्रदर्शन को दर्शाता है। हालांकि, वह स्वर्ण पदक से जीतने से रह गए, जिसे पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर का थ्रो कर जीत लिया।
इस सिल्वर मेडल के साथ, नीरज चोपड़ा भारतीय ओलंपिक इतिहास के सबसे पहले एथलीट बन गए हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत प्रतियोगिता में में गोल्ड जीतने के बाद एक और ओलंपिक मेडल हासिल किया है। टोक्यो ओलंपिक में उनके स्वर्ण पदक ने जहां उन्हें राष्ट्रीय नायक बनाया हैं, वहीं पेरिस में उनका सिल्वर मेडल उनकी बार बार प्रयास और उत्कृष्टता का प्रतीक है।
नीरज का यह सफर भारतीय खेलों के लिए एक प्रेरणा है, और उनकी इस अद्वितीय उपलब्धि ने एक बार फिर देश को गर्व का एहसास दिलाया हैं। उनके इस प्रदर्शन से यह साबित हो गया है कि वह न केवल भारतीय खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर हैं, बल्कि उन्होंने पूरे विश्व मंच पर भी अपनी जगह को मजबूत कर लिया है।
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