National Flag Of India In Hindi 2024 :देश की आजादी मे तिरंगे की भूमिका

National Flag Of India In Hindi 2024 :देश की आजादी मे तिरंगे की भूमिका

जब भारत 1947 के पहले अंग्रेजो का गुलाम था, तब भारत के ऊपर बहुत अत्याचार किया जाता था। अंग्रेजो ने ऐसी कोई कसर नहीं छोड़ी , उन्होंने भारत से सोना लूटा, कई बस्तियां उजाड़ दी, कई धर्म को उजाड़ दिया, ऐसे कई जुल्म अत्याचार किए। ये सिलसिला चलता ही जा रहा था ऐसे में भारत बहुत ही दयनीय स्थिति में था।

महात्मा गांधी जी जो एक तरफ़ से बहुल तौर पर आन्दोलन कर रहे थे, लेकिन ये कई बार असफल हो जाता था, इनके पास ऐसा कोई एक चीज नहीं थी जिससे की सारे लोग एकजुट हो सकें। सभी अपने अपने तौर तरीके से अपने अपने जगहों में आन्दोलन कर रहें थे। इसी को देखते हुए गांधी जी ने सभी को जोड़ने और राष्ट्रीय धरोहर के साथ चलने के लिए एक प्रतीक(National Flag Of India) का निर्माण किया। जिसके कदम सारा भारत एकजुट होकर चलने लगा।

National Flag Of India
National Flag Of India In Hindi :देश की आजादी मे तिरंगे की भूमिका

तिरंगा की नींव(National Flag Of India)

जब सारा भारत गुलामी में जूझ में रहा था, और भारत के लोग अपने अपने रास्ते पे चलकर आन्दोलन करते थे। इसके बाद भी भारत हर तरीकों से असफल होता जा रहा था। ऐसे में भारत को सूझा की हमे ऐसा कोई प्रतीक चाहिए जिससे कि हम एक होकर आन्दोलन कर सकें।

महात्मा गांधी ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए, 1921 में पिंगली के एक व्याख्याता ने एक ध्वज(National Flag Of India) को डिजाइन किया। इस डिजाइन में यह दो धर्मों को एकजुट करने वाली समझ थी। इसमें मुस्लिम और हिंदू धर्म से जुड़े रंग थे। हिंदुओ के लिए इसमें लाल रंग और मुस्लिम के लिए हरा रंग था।

चरखे का जुड़ना

इस डिजाइन में महात्मा गांधी को कुछ कमियां सी लग रही थी। उनका कहना था कि इसने कोई ऐसी चीज़ होनी चाहिए जो भारत को आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ावा दे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए लाल हंस सोंधी ने एक क्षैतिज रूप से चरखे को इसके केंद्र में जोड़ने के लिए कहा (1921 से 1931 तक)।

 

उनका यह सुझाव गांधी जी को अच्छा लगा, इसके जुड़ने से भारत में एकता और आत्मनिर्भर होने की प्रेरणा जागेगी। इस प्रतीक(National Flag Of India) के जोड़ने का मतलब यह था कि भारत के लोग अपने अपने जगहों में रेशों से कपड़े बनाए। जिससे कि स्वदेशी के कपड़े पर निर्भर ना रहना पढ़े। अपने अपने जगहों में इसे बढ़ावा दे और इसे बढ़े पैमाने में विस्तार करे।

सफेद और केसरिया रंग का आगमन

(National Flag Of India)

भारत में हर आए दिन लड़ाई झगड़े अत्याचार बढ़ते ही जा रहें थे। ऐसे में महात्मा गांधी जी को झंडे में ऐसा कोई रंग जोड़ना था जो इसे शान्ति की ओर दर्शाए, ऐसे में उन्होंने झंडे में सफ़ेद रंग को जोड़ा, जो पूरी तरह शान्ति, सच्चाई और पवित्रता की ओर दर्शा रहा था। यह रंग भारत की जनता के बीच सद्भावना के लिए भी जाना जाता हैं।

इस लिए सफेद रंग को (1931 में ) बीच में स्थापित किया गया, जो देश को उन्नति,विकास, शान्ति और साहस के लिए जाना गया। इसी चरखे के स्थान पर बाद में अशोक चक्र को भी शामिल कर लिया गया, जिसका रंग नीला हैं। यह धर्म चक्र भारत को एकजुट रहने के प्रतीक के रूप में भारत सरकार ने शामिल किया। इसी समय में ध्वज के लाल रंग के बजाए केसरिया रंग को जोड़ा गया। इसी के चलते 22 जुलाई 1947 को, तिरंगे को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (National Flag Of India) के रूप में फहराया गया।

तिरंगे ध्वज का भारत में प्रभाव

जब तिरंगे झंडे का निर्माण नहीं हुआ था, तब भारत में बहुत असामान्य रूप से आन्दोलन, अत्याचार,भ्रष्टाचार और हर तरफ़ झगड़े हो रहे थे। अलग अलग जगहों के लोग अपने तरीकों से आन्दोलन किया करते थे, जिससे दूसरे आंदोलनकारी को इसकी जानकारी और कोई प्रतीक ना होने के कारण ये एकजुट नहीं हो पाते थे। लेकिन तिरंगे ध्वज (National Flag Of India) के आ जाने के बाद भारत में कई सारे बदलाव देखने को मिले। भारत का एक प्रतीक हो जानें के करण अब एकजुट आन्दोलन करने लगे।

National Flag Of India In Hindi :देश की आजादी मे तिरंगे की भूमिका

तीनों रंगो के प्रतीक और उनके गहरे मतलब लोगों को आंदोलित किए देते थे। हरा रंग उनको खेती करने श्रम करने, हरित क्रांति की ओर अग्रसर करता था, वहीं सफ़ेद रंग उन्हें शांती, और उन्नति के लिय प्रेरित करता था और केसरिया रंग लोगों के अंदर साहस ,त्याग और बलिदान की ओर अग्रसर करता था। जिससे लोग इसे याद करके अपनी सहनशीलता बढ़ाते थे, इस ध्वज के कारण लोगों में आत्मविश्वस बढ़ जाता था। जिससे भारी तादाद में आन्दोलन को दिशा दी जाती थी।

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