Sheetal Devi Ne Kon Sa Padak Jeeta?: शीतल देवी का संघर्ष 2024

Sheetal Devi Ne Kon Sa Padak Jeeta?: शीतल देवी का संघर्ष

Sheetal Devi Ne Kon Sa Padak Jeeta?
Sheetal Devi Ne Kon Sa Padak Jeeta?: शीतल देवी का संघर्ष 2024

भारत की तरफ से खेलने वाली शीतल देवी ने गुरुवार को एक नया रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया हैं। उन्होंने 698 पॉइंट को तोड़कर 703 के बिंदु के साथ आगे निकल गई थी। यह उपलब्धि शीतल देवी के लिए बहुत बड़ी है। इसी के बाद शीतल देवी का यह रिकॉर्ड एथलीट प्लेयर ने भी तोड़ा।

शीतल देवी पहले राउंड में ही अंतिम 16 किस श्रेणी में पहुंच गई। शीतल देवी दुनिया की पहली बिना हाथ वाली तीरंदाज हैं,जिन्होंने बिना हाथ के ही कई उपलब्धी प्राप्त कर ली है।

आइए जानते हैं शीतल देवी की प्रतिभा ,संघर्ष और कुछ उपलब्धियां….

शीतल देवी की प्रतिभा(sheetal devi ne kon sa padak jeeta?) 

sheetal devi ne kon sa padak jeeta? न्यूज में….

अभी-अभी शीतल देवी ने गुरुवार को पैरालंपिक में दूसरे स्थान की प्राप्ति कर ली है। अपने 703 पॉइंट के साथ उसने पिछला रिकॉर्ड 698 पॉइंट को तोड़कर आगे निकल गई है। हालांकि वह पहले स्थान में जाने से मात्र एक पॉइंट से चूक गई। लेकिन यह उपलब्धि शीतल देवी के लिए बहुत बड़ी है।

इसके अलावा शीतल देवी में ने 3 साल पहले भारतीय सैनिकों की प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसमें उन्होंने लाजवाब प्रदर्शन किया किया था।

फिर शीतल देवी ने युगल मिश्रित प्रतियोगियता में भाग लिया और दो स्वर्ण पदक और महिला व्यक्तिगत में भी दो स्वर्ण पदक जीते हैं। इसके अलावा महिला डबल्स कंपाउंड में भी खेलने का अवसर प्राप्त हुआ, फिर उन्होंने अपना लाजवाब प्रदर्शन देकर रजत पदक भी अपने नाम भी किया हुआ है।

शीतल देवी का संघर्ष (sheetal devi ne kon sa padak jeeta? न्यूज में) :

 sheetal devi ne kon sa padak jeeta? न्यूज में…. शीतल देवी का संघर्ष…..

हम आपको बता दे की शीतल देवी फोकोमेलिया बीमारी से ग्रसित है। इस बीमारी की यह खासियत है कि इसमें शरीर के कुछ अंग विकसित नहीं हो पाते हैं और ना ही आगे जाकर इसका कोई ईलाज है।

शीतल देवी का शरीर बहुत ही कमजोर होता लेकिन उसके उत्सुकता तो निशानेबाजी में ही थी। 

फिर उसने अपने कमजोरी को मिटाया और अपने शरीर में ऊर्जा भरना शुरू कर दिया। इसके बाद वह धनुष उठाने में कामयाब होने लगी इसमें उनका साथ उनके घर वालों ने दिया। इसी जोरों शोरों से वह लगातार कोशिश करती रहीं।

इसी तरह वह अपने पैरों और दांतों की मदद से धीरे-धीरे निशाने बाज की प्रैक्टिस करती गई। यह संघर्ष एक लड़की के लिए कर पाना बहुत ही मुश्किल भरा था, लेकिन उसके जज्बे और उत्सुकता ने उनको धनुष बाण में महारत हासिल करवा ही दी।

पैरा ओपन नेशनल्स में रजत पदक जीता

शीतल का हौसला उसकी निशानी बाजी करने से रोक नहीं पाया। वह अपनी इच्छा शक्ति और लगन से अभ्यास करती गई  इसी उत्सुकता और लगन को देखकर शीतल के कोच अभिलाष चौधरी और कुलदीप वेदवान ने उसकी मदद की। उनके कोच की सहायता से उनको ट्रेनिंग मिली और वह अपने अभ्यास करती गई। शीतल देवी ने पैरा ओपन नेशनल्स में रजत पदक जीतकर सबको हैरान कर दिया। यह उपलब्धि शीतल देवी को धनुष बान निशानेबाजी करने की अत्यधिक प्रेरणा दिलाता है। इसी के साथ वह कई जगहो में हिस्सा लेती रहती है।

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